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भारत-चीन: श्रृंगला ने संबंधों के लिए इन तीन जरूरतों को बताया अनिवार्य, 11 मार्च को होगी 15वें दौर की वार्ता

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भारत ने चीन के सामने यह साफ कर दिया है कि सीमाई इलाकों में सभी द्विपक्षीय समझौतों और संबंधों में बेहतरी के लिए शांति और स्थिरता अनिवार्य है। इसे पारस्परिक सम्मान, संवेदनशीलता और हितों पर आधारित होना चाहिए। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने बुधवार को यह जानकारी दी।

इसके साथ ही विदेश सचिव श्रृंगला ने यह भी कहा कि भारत अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ भी अच्छे संबंध चाहता है, लेकिन ऐसा सुरक्षा की कीमत पर नहीं हो सकता है। विदेश सचिव लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

उनकी यह टिप्पणी पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच चल रहे गतिरोध को लेकर कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ताओं के 15वें दौर से ठीक दो दिन पहले आया है। वहीं, अफगानिस्तान के साथ संबंधों को लेकर श्रृंगला ने कहा कि हमने देश के मित्रवत लोगों के साथ विशेष संबंध बनाए रखे हैं।

विदेश सचिव ने कहा, ‘अफगानिस्तान में मानवीय हालात और जरूरतों को देखते हुए भारत सरकार ने अफगान नागरिकों को 50 हजार टन गेहूं उपहार के रूप में देने का फैसला किया है। भारत की इस मानवीय सहायता की पहली खेप पिछले महीने अटारी बॉर्डर से रवाना कर दी गई थी।’

श्रृंगला ने म्यांमार के साथ भारत के संबंधों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, हम म्यांमार से जुड़े हुए हैं। यह ऐसा देश है जिसके साथ हमारी लगभग 1700 किमी लंबी सीमा है। अपनी भागीदारी में, हमने म्यांमार की लोकतंत्र में जल्द से जल्द वापसी देखने में भारत की रुचि पर जोर दिया है।

‘हमारी विदेश नीति में पड़ोसी देशों को प्राथमिकता’
उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति की प्राथमिकताओं में पड़ोस सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण स्थान पर आता है। पड़ोसी देशों के प्रति यह नीति अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल मालदीव, म्यांमार, श्रीलंका और पाकिस्तान के साथ हमारे संबंधों को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है।

विदेश सचिव ने कहा कि पाकिस्तान के अलावा इन सभी देशों के साथ हम नजदीकी के साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पड़ोस में स्थित देशों का भारत के लिए विशेष महत्व है। इन देशों के साथ हमारे संबंध साझा इतिहास और संस्कृति से जुड़े हुए हैं। हम एक-दूसरे के लिए जरूरी हैं।

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