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श्रीलंका के बाद अब नेपाल के साथ जिनपिंग की दगाबाजी, चीनी जहाज बने कबाड़; प्रचंड सरकार परेशान

चीन की फितरत किसी से छिपी नहीं है. कर्ज के जरिए पहले मदद करता है फिर अपने जाल में फंसा लेता है. श्रीलंका का उदाहरण सामने है. लेकिन यहां बात हो रही है नेपाल की. नेपाल के हुक्मरानों को लगता है कि उसके लिए चीन से दोस्ती बेहतर नतीजे देगी यह बात अलग है कि चीन की वजह से प्रचंड(Pushp Kamal Dahal Prachand) की सरकार परेशान है. अब पूरा मामला क्या है उसे आप यूं समझ सकते हैं. दरअसल चीन से नेपाल ने विमान लिए थे लेकिन वो उड़ने की जगह जमीन पर धूल फांक रहे हैं.

चीनी विमानों की स्क्रैप कीमत 220 मिलियन

नेपाल ने विमान की बिक्री के लिए 220 मिलियन नेपाली रुपए की बोली लगाया है. नेपाल एयरलाइंस()Nepal airlines ने करीब 6.6 बिलियन नेपाली करेंसी में चीन से विमानों का सौदा किया था. लेकिन विमान खराब निकल गए. काठमांडू पोस्ट के मुताबिक अब जहाजों को उड़ाने की जगह जमीन पर ही रखने का फैसला लिया गया है. हालात ये है कि इन विमानों के रखरखाव में आने वाला खर्च मुसीबत की वजह बन चुका है.

नेपाल ने खरीदे थे 6 विमान
नेपाल ने साल 2014 से लेकर 2018 के बीच कुल 6 विमान खरीदे. उनमें से एक विमान क्रैश हो गया और उसके बाद पांच विमानों को ग्राउंड कर दिया गया. इन विमानों में दो विमानों में कुल 56 सीटें और तीन विमानों में कुल 17 सीटें हैं. जानकार बताते हैं कि नेपाल ने जब विमानों की खरीद की उसके बाद से कुछ न कुछ खामी हमेशा आती रही. मेंटिनेंस में ज्यादा खर्च की वजह से एयरलाइंस ने विमानों को उड़ाने का फैसला नहीं किया. इन पांच विमान में से कुछ पिछले 2-3 साल से जमीन पर ही हैं.हालांकि विमानों को बेचे जाने के लिए स्क्रैप की कीमत जो तय की गई है उससे नेपाल एयरलाइंस खुश नहीं है. एयरलाइंस का कहना है कि इतने महंगे विमानों को सस्ते में कैसे बेचा जा सकता है. अब इस वजह से परेशानी और बढ़ गई है.

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