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Sedition Case LIVE: SP के संतुष्ट होने पर ही धारा 124ए का केस दर्ज होगा, देशद्रोह मामले पर सुप्रीम कोर्ट में बोली मोदी सरकार

सुप्रीम कोर्ट आज राजद्रोह कानून (Sedition Law) के मामले की सुनवाई करेंगे. मंगलवार को हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने कहा था कि वह राजद्रोह कानून (Sedition Law) की समीक्षा के लिए केंद्र को समय देगी. लेकिन सॉलिसीटर जनरल सरकार से निर्देश लेकर बताएं कि लंबित केस और भविष्य में दर्ज होने वाले केस पर इसका क्या असर होगा? वह यह भी बताएं कि क्या अभी 124A के लंबित केस स्थगित रखे जा सकते हैं.

सुनवाई के दौरान केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि संज्ञेय अपराध को दर्ज होने से नहीं रोका जा सकता है, कानून के प्रभाव पर रोक लगाना सही नजरिया नहीं हो सकता है और इसलिए जांच के लिए एक जिम्मेदार अधिकारी का होना जरूरी है. केंद्र की ओर से पेश हुए एसजी तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जहां तक ​​देशद्रोह के लंबित मामले का सवाल है, प्रत्येक मामले की गंभीरता का पता नहीं है. अंतत: लंबित मामले न्यायिक मंच के सामने हैं और हमें कोर्ट पर भरोसा करने की जरूरत है.

क्या है मामला?

लगभग 150 साल पुराना राजद्रोह कानून हाल के दिनों में दुरुपयोग को लेकर चर्चा में रह है. राजद्रोह के मामलों में लगने वाली आईपीसी की धारा 124A को 10 से ज़्यादा याचिकाओं के ज़रिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. याचिकाकर्ताओं ने कानून को अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार का हनन बताते हुए रद्द करने की मांग की है. इससे पहले हुई सुनवाई में सरकार ने कहा था कि इस कानून को 1962 में सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच वैध करार दे चुकी है. ‘केदारनाथ सिंह बनाम बिहार सरकार’ मामले में दिए इस फैसले में कोर्ट ने कानून की सीमा तय की थी. यह कहा था कि सरकार के खिलाफ हिंसा भड़काने की कोशिश करने पर यह धारा लगनी चाहिए. हाल ही में कई राज्यों में गैरज़रूरी मामलों में भी यह धारा लगी है. इस दुरुपयोग को रोकने की ज़रूरत है.

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