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देश के 15 विद्युत संयंत्रों में एक दिन का भी रिजर्व कोयला नहीं बचा, रोज़ाना हो रही आपूर्ति से चला रहे काम

देश के कई विद्युत उत्पादन संयंत्रों के लिए आज वो कहावत शब्दशः सही साबित हो रही है – रोज़ कुआं खोदो और पानी पीओ . ऐसा इसलिए क्योंकि इन संयंत्रों के पास एक दिन का भी रिजर्व कोयला नहीं बचा है. इनका काम रोज़ाना हो रही कोयले की आपूर्ति से ही चल पा रहा है .

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के वेबसाइट पर दिए आंकड़ों से इन संयंत्रों में कोयले की कमी का अंदाज़ा लगाया जा सकता है. वेबसाइट पर उपलब्ध 11 अक्टूबर तक के आंकड़ों के मुताबिक़, देश के 15 विद्युत उत्पादन संयंत्रों में एक दिन का भी रिजर्व कोयला नहीं बचा है. इनमें उत्तर प्रदेश और हरियाणा के 3-3 जबकि महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के 2-2 संयंत्र शामिल हैं.

राजस्थान , छत्तीसगढ़ , मध्यप्रदेश , तमिलनाडु और झारखंड के 1 – 1 संयंत्र भी कोयले की इस कमी से जूझ रहे हैं. इसका मतलब ये हुआ कि अगर इन संयंत्रों में एक दिन भी कोयले की आपूर्ति में रुकावट या कमी आयी तो इनमें उत्पादन बंद हो जाएगा.

औसतन इन संयंत्रों में 20 दिन से ज़्यादा का रिजर्व स्टॉक मानक माना जाता है. इन 15 संयंत्रों की उत्पादन क्षमता 15290 मेगावाट है. इन 15 संयंत्रों के अलावा कई अन्य संयंत्रों में भी हालत नाज़ुक बनी हुई है . 35360 मेगावाट की उत्पादन क्षमता वाले कुल 27 संयंत्रों में महज एक दिन का रिजर्व स्टॉक बचा है. वहीं 20 संयंत्र ऐसे हैं जिनमें महज 2 दिनों और 21 संयंत्रों में महज 3 दिनों का स्टॉक बचा है.

इन संयंत्रों की कुल उत्पादन क्षमता 49769 मेगावाट है. इसके अलावा 20 संयंत्रों में 4 दिन , 5 संयंत्रों में 5 दिन और 8 संयंत्रों में 6 दिनों का रिजर्व कोयला बचा है. मसलन उत्तर प्रदेश में दादरी स्थित केंद्र के थर्मल पावर स्टेशन में 11 अक्टूबर को मांग 19000 टन कोयले की थी , जबकि आपूर्ति 18000 टन ही हो पाई. वहीं उत्तर प्रदेश के ही खम्बरखेड़ा और केन्द्र की स्थित थर्मल पावर स्टेशन को तो 11 अक्टूबर को कोयले की आपूर्ति ही नहीं हो पाई

वेबसाइट के मुताबिक़, जिन वजहों से कोयले की आपूर्ति कम हो रही है उनमें प्लांटों द्वारा स्टॉक तैयार नहीं करना , प्लांटों पर कोयला कम्पनियों का बकाया और कोयला ढुलाई में आ रही परेशानियां और देरी जैसे कारण शामिल हैं.

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