देश

चीनी सेना ने छुपाई थी गलवान घाटी में मारे गए सैनिकों की संख्या, अब सामने आई ये सच्चाई

कोरोना काल के दौरान जून 2020 में भारतीय और चीनी सीमा गलवान घाटी में आमने सामने आ गई. दोनों सेनाओं के बीच हुई झड़प में कई सैनिकों की मौत हो गई. ये झड़प ऐसे समय में हुई थी जब पूरी दुनिया में कोरोना का खौफ था. इस झड़प ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया. जिससे एक बार फिर भारत और चीन के बीच का तनाव उजागर हो गया. इस झड़प में मारे गए सैनिकों की संख्या के बारे में भी दोनों देशों ने स्वीकार किया. लेकिन इस झड़प में चीन को हुए नुकसान के बारे में ड्रेगन ने कभी नहीं बताया.

इस घटना ने क्षेत्र की अस्थिरता पर वैश्विक ध्यान केंद्रित किया और चीनी हताहतों और रणनीतिक गलतियों की छुपी हुई कहानी को उजागर किया. इस झड़प का गहराई से विश्लेषण करने पर चीन की पारदर्शिता की कमी और संभावित रणनीतिक गलतियां सामने आती हैं, जो भारत-चीन संबंधों और क्षेत्रीय भू-राजनीति को गहराई से प्रभावित करती हैं. यह घटना सीमा स्थिति की नाजुकता और भविष्य के संघर्षों और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए व्यापक प्रभावों को भी दर्शाता है.

ऑस्ट्रेलियाई जांच रिपोर्ट ‘द क्लैक्सन’ के मुताबिक, गलवान घाटी में जब संघर्ष हुआ तब 38 पीएलए सैनिकों का नेतृत्व जूनियर सार्जेंट वांग झुओरन कर रहे थे. चीन ने स्वीकार किया था कि इस झड़प में केवल चार मौतें हुई थी. जिसमें वांग झुओरन की एक ठंडी नदी में डूबने से मौत हुई थी. लेकिन इस खुलासे ने चीन की हताहतों की छुपाई गई सच्चाई को उजागर किया, जो संघर्ष की मानव लागत को रेखांकित करता है. यह सैन्य रिपोर्टिंग में पारदर्शिता की आवश्यकता पर जोर देता है और गलवान घाटी घटना के दौरान चीनी बलों द्वारा झेले गए वास्तविक नुकसानों पर चिंताओं को बढ़ाता है.

अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट सामने आई ये जानकारी

वहीं अमेरिकी खुफिया रिपोर्टों ने जून 2020 में भारत के साथ गलवान घाटी में हुई झड़प में चीन के 35 हताहतों की छुपाई गई संख्या का खुलासा किया था. इस खुलासे ने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया, जो सीमा विवाद की गंभीरता को रेखांकित करता है. इस झड़प ने अस्थिर स्थिति को शांत करने के लिए राजनयिक और सैन्य प्रयासों को तेज कर दिया. गलवान झड़प के बाद चीन और भारत के बीच तनाव को कम करने के प्रयास महत्वपूर्ण हो गए, जो भारत-चीन संबंधों की नाजुकता को उजागर करता है.

रूस की एजेंसी ने 45 बताई थी मरने वाले सैनिकों की संख्या

वहीं रूसी समाचार एजेंसी, TASS ने बताया कि जून 2020 में भारतीय बलों के साथ गलवान झड़प में 45 चीनी सैनिक मारे गए थे, जो पहले घोषित संख्या से दोगुनी थी. इस खुलासे ने टकराव की स्थिति को और बढ़ा दिया. मरने वालों के ये आंकड़े भारत और चीन के बीच सीमा विवाद की गंभीरता को दिखाते हैं. जो क्षेत्रीय तनावों को प्रबंधित करने में चुनौतियों को उजागर करता है. इस खुलासे ने गलवान झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने के राजनयिक प्रयासों को और उलझा दिया और बढ़ा दिया.

चीन द्वारा गलवानी घाटी में हुई झड़प में मारे गए सैनिकों की सही संख्या न बताना उसके सैन्य कार्यों की मानवीय लागत को छुपाने की व्यापक रणनीति को दर्शाती है. सरकार द्वारा जानकारी और मीडिया पर कड़े नियंत्रण के चलते इसे और बढ़ा दिया. जिससे पारदर्शिता और उत्तरदायित्व में रुकावट आ गई. गलवान घाटी में हताहतों की संख्या को कम करके रिपोर्ट करना चीन के घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय आलोचना से बचने और अपनी ताकत को बरकरार रखने की कोशिश को दिखाता है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button