‘मुस्लिम वोट नहीं देंगे…’ वक्फ बोर्ड बिल पर जिया उर्र रहमान बर्क ने विपक्षियों को चेताया
समाजवादी पार्टी के सांसद जिया उर्र रहमान बर्क ने वक्फ बोर्ड कानून में कथित संशोधन पर प्रतिक्रिया दी है. संसद में इस विधेयक के पेश की संभावनाओं के बीच उत्तर प्रदेश स्थित संभल से सपा सांसद बर्क ने विपक्षियों, जेडीयू और टीडीपी को चेताते हुए कहा है कि अगर बिल नहीं रोका गया तो मुस्लिम वोट नहीं करेंगे.
सपा सांसद ने कहा कि देश को आगे बढ़ाने के लिए काम करना होगा. सिर्फ सबका साथ सबका विकास कहने से काम नहीं चलेगा. एबीपी न्यूज़ से बातचीत में संभल सांसद ने कहा कि हम जेडीयू और टीडीपी को इस विरोध का खुलकर विरोध करना चाहिए. अगर वह ऐसा नहीं करेंगे तो आने वाले वक्त में मुस्लिम समाज उनका पुरजोर विरोध करेगा.
इस बीच सूत्रों का दावा है कि वक्फ बोर्ड को लेकर सरकार की मौजूदा रणनीति यही है कि इसी सत्र में इस बिल को संसद में इंट्रोड्यूस किया जाए. सरकार वक्फ बोर्ड के सारे निर्णय को न्यायिक प्रक्रिया की स्क्रुटनी में लाना चाहती है. सरकार का मुख्य बदलाव का अंश यही है वक्त बोर्ड कोई भी फैसला ले जुडिशल बोर्ड अधिकरण न्यायालय उसकी अनुमति दे. सके अलावा डीएम उसे पूरे प्रकरण का अप्रूवल दे.
सरकार बता रही ये फायदा
सरकार इसके लिए यह फायदा बता रही है कि मौजूदा समय में बोर्ड की संपत्तियों से जो उसे फायदा हो रहा है या राजस्व मिल रहा है इन बदलाव के बाद कहीं ज्यादा राजस्व सरकार को मिलने लगेगा. बोर्ड में बदलाव के लिए 1995 और 2013 में बिल लाया गया था और 2013 में जो नया बिल बोर्ड से संबंधित लाया गया उसमें बोर्ड की शक्तियां बहुत ज्यादा बढ़ा दी गई. मसलन उनकी जिम्मेदारी के हिस्से को बहुत कम कर दिया गया यानी जिस संपत्ति पर बोर्ड अपना स्वामित्व जताता रहा था उसके लिए उसे कहीं भी स्पष्टीकरण नहीं देना पड़ता.
मौजूदा समय में वक्फ बोर्ड की संपत्ति 870000 है जिसका दायरा 9 लाख एकड़ से ज्यादा है यानी मूल्य कई हजार करोड़ रुपये वक्फ बोर्ड की संपत्ति का है. बोर्ड की कार्यप्रणाली में समय-समय पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते रहे हैं मौजूदा समय में देश भर में करीब 30 वक्फ बोर्ड है जिनकी कार्य प्रणाली को लेकर सवाल उठाया गया है मसलन जिन संपत्तियों के ऊपर मकान बनाकर या फिर जिनको किराए पर दिया गया है.
दावा किया जा रहा है कि उसकी आय कागजों में दिखने में पारदर्शिता नहीं हुई है इसके अलावा जो जमीन उन्होंने बोर्ड के जरिए बांटी हैं और ये कुछ सदस्यों पर समय समय आरोप लगते रहे हैं 1995 के क़ानून को संशोधित करके 2013 में अधिक ताक़त दी गई. सरकार इसको ठीक कर इसको कोर्ट में दायरे में लाना चाहती है.
विधेयक संशोधन के संदर्भ में दावा किया जा रहा है कि ट्रिब्यूनल में सिर्फ़ मुस्लिम नहीं कोई भी रह सकता है. ट्रिब्यूनल की रिपोर्टिंग वक़्फ़ को है इसको बदलना है. सरकार का दावा है कि यह ये जस्टिस के सिद्धांत के खिलाफ है.