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नक्सलियों के खिलाफ सबसे बड़े ऑपरेशन की कहानी; 39 साल का इंस्पेक्टर, 11:30 बजे से फायरिंग…बैकअप फोर्स का घेरा

तारीख 16 अप्रैल 2024, दिन के करीब 11 बजे का वक्त हो रहा था. सुरक्षा बलों को पक्की जानकारी मिली की कुख्यात नक्सली कमांडर शंकर राव अपनी पूरी टीम के साथ कांकेर के छोटे बेठिया थाना क्षेत्र के हापाटोला के जंगल में एक बड़ी मीटिंग करने वाला है. उसके साथ करीब 40 से 50 नक्सलियों का जमावड़ा है. सुरक्षाबलों को जानकारी मिली कि ये नक्सली लोकसभा चुनाव के दौरान खून खराबे का प्लान बना रहे थे.

हाहाटोला के जंगल बहुत ही घने हैं और नक्सलियों के छिपने के लिए महफूज जगह भी. 16 अप्रैल की सुबह इस पूरे जंगल में सन्नाटा पसरा हुआ था. लेकिन अचानक ही लगभग 11.30 बजे के आसपाल इस इलाके में पहली गोली चलने की आवाज सुनी गई, और फिर कुछ ही क्षणों में हाहाटोला के जंगलों में भीषण एनकाउंटर शुरू हो गया.

रिपोर्टर को सुरक्षाबलों की टीम में मौजूद जवानों ने इस पूरे ऑपरेशन का आंखों देखा हाल सुनाया. उन्होंने बताया कि नक्सली जंगल के टेकरी वाले इलाके को अपना सुरक्षित ठिकाना मानकर छुपे हुए थे. लेकिन हमारी टीम इस बात की खबर मिलते ही तुरंत नक्सलियों के ठिकाने के नजदीक पहुंच गई. इस पूरे ऑपरेशन के दौरान जवान नक्सलियों से केवल 250 से 300 मीटर की दूरी पर ही थे.

जवानों ने खुद को पेड़ और मेड़ के सहारे छुपाते हुए उस पूरे इलाके को चारो तरफ से घेर लिया था. एक तरफ जहां हमारे जवान इन नक्सलियों को धर दबोचने के लिए पूरी तरफ तैयार थे वहीं दूसरी तरफ इस खतरे से अंजान नक्सली कमांडर शंकर अपने साथियों के साथ खाना खाकर निश्चित बैठा था.

जानकारी ये भी सामने आई है कि नक्सली कमांडर शंकर एनकाउंटर किए जाने के कुछ देर पहले ही अपनी मीटिंग करने वाला था. लेकिन इससे पहले की ये मीटिंग हो पाती पुलिस ने फायरिंग शुरू कर दी.

जवान ने बताया कि यह ऑपरेशन पूरे पांच 5 घंटे तक चली और जब गोलीबारी रुकने की आवाज आई तो जवानों ने मुठभेड़ वाले इलाके में सर्चिंग शुरू कर दी.

जवानों ने एक-एक कर 29 नक्सलियों के शव बरामद किए हैं. खास बात ये है कि इन 29 नक्सलियों में से जो नक्सली (लीडर शंकर राव और ललिता ) ऐसे थे जिसपर 8-8 लाख का इनामी था. इस पूरे ऑपरेशन में कुछ नक्सली घायल भी हुए हैं, जो मौके से भाग निकले.

38 साल के इंस्पेक्टर ने निभाई अहम भूमिका

इस पूरे ऑपरेशन में 38 साल के एक इंस्पेक्टर का नाम भी सामने आ रहा है जो छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के पखांजूर पुलिस स्टेशन के एसएचओ हैं और उनका नाम है लक्ष्मण केवट. लक्ष्मण को ही सबसे पहले इस जमावड़े की खुफिया जानकारी मिली थी. इसके बाद उन्होंने कांकेर के पुलिस अधीक्षक, इंदिरा कल्याण एल्सेला को इस बारे में बताया.

लक्ष्मण केवट ने ही इस ऑपरेशन में DRG के जवानों को लीड किया. हालांकि ये उनका पहला ऑपरेशन नहीं था. लक्ष्मण केवट इससे पहले भी कई बार नक्सलियों का सामना कर चुके है. एनकाउंटर में माहिर लक्ष्मण ने कई इनामी नक्सली को मुठभेड़ में ढेर किया है.

लक्ष्मण केवट ने ऐबीपी को बताया कि 12 साल के नौकरी में उन्होंने अब तक 34 नक्सलियों का एनकाउंटर किया है, यही वजह है की उन्हें इतने लंबे समय तक नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सेवा देने की वजह से आउट ऑफ टर्न प्रमोशन मिला और अभी वे छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग में इंस्पेक्टर के पद पर हैं और कांकेर जिले के पखांजूर में थाना प्रभारी के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं.

ललिता और शंकर, जिसपर था 8 लाख का इनाम

50 साल की ललिता और 47 साल का शंकर, ये दोनों नक्सली ही उत्तर बस्तर डिवीजन कमेटी में नक्सलियों के डीवीसीएम के पोस्ट पर एक्टिव था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नक्सली कमांडर शंकर का कांकेर इलाके में जबरदस्त असर था. इस इलाके में होने वाली सभी नक्सली घटनाओं का मास्टरमाइंड वही होता था. इससे पहले बी उसे कई बार पकड़ने की कोशिश की जा चुकी है लेकिन मुठभेड़ में ये पुलिस की गोलियों से बच निकलता था.

इस ऑपरेशन को लेकर डीआईजी ने क्या कहा

डीआईजी (बीएसफ) आलोक सिंह ने एबीपी से बातचीत में विस्तार से बताया कि इस पूरे ऑपरेशन के दौरान पुलिस और बीएसएफ का कोआर्डिनेशन कमाल की रही. उन्होंने बताया कि DRG और BSF के जवानों ने काफी दिनों तक उस इलाके की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी. हालांकि इन इलाकों को मॉनिटर करना बिल्कुल भी आसान नहीं है. यहां घने जंगल हैं. इसलिए नक्सल कभी सोच भी नहीं सकते थे कि हम यहां उसे टारगेट कर सकते हैं.

मुठभेड़ में तीन जवान भी हुए घायल

इस पूरे ऑपरेशन में हमारे 3 जवान भी जख्मी हुए हैं, जिन्हें तुरंत रायपुर के अस्पताल में भर्ती कराया गया. फिलहाल इन तीनों का इलाज चल रहा है और डॉक्टर का कहना है कि तीनों की हालत खतरे से बाहर है. इस बहादुरी से नक्सलियों का सामने करने पर मंगलवार देर शाम छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा भी इन जवानों से मिलने पहुंचे.

उस वक्त ये 39 साल का ये जवान बेड पर लेटा हुआ था. हालांकि उनकी आंखों में उस वक्त भी चमक बरकरार थी. एक जवान ने अपनी मूंछों पर ताव देते हुए कहा- सर हम मरने से नहीं डरते, पूरी बहादुरी से लड़े हैं. 29 को मार गिराया है.

गृहमंत्री अमित शाह ने भी दी अपनी प्रतिक्रिया

गृहमंत्री अमित शाह ने इस पूरे मामले पर कहा कि मोदी सरकार के नेतृत्व और छत्तीसगढ़ पुलिस के सहयोग से जल्द ही नक्सलवाद का खात्मा कर देंगे. उन्होंने कहा कि प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनते ही 3 महीने के भीतर 80 से ज्यादा नक्सलियों को मार गिराया गया है. इसके अलावा 125 से ज्यादा नक्सली गिरफ्तार किए गए जा चुके हैं. वहीं 150 से ज्यादा माओवादियों ने सरेंडर किया है.

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