गोरखपुर में हर सीएचसी पर इंसेफेलाइटिस मरीजों का होगा इलाज, बनाए गए ईटीसी सेंटर
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क्षेत्र की आशा, आंगनबाड़ी, एएनएम समेत अन्य स्वास्थ्यकर्मी, इंसेफेलाइटिस पीड़ित मरीजों को इलाज के लिए इन्हीं ईटीसी सेंटरों पर ले जाएंगे। अगर रेफर करने की स्थिति आती है, तो केंद्र के डॉक्टर जिला अस्पताल रेफर करेंगे, न कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज।
सीएमओ डॉ. आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि इंसेफेलाइटिस पीड़ित मरीजों के इलाज की सुविधा जिले के 21 सीएचसी और दो पीएचसी पर उपलब्ध है। इन केंद्रों पर दो-दो बेड के ईटीसी सेंटर बनाए गए हैं। इन ईटीसी सेंटरों पर मरीज भी इलाज के लिए पहुंचने लगे हैं। इस साल जनवरी से मार्च के बीच हाई ग्रेड फीवर (तेज बुखार) के 95 मामले रिपोर्ट हुए हैं। इनमें से दो केस एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के हैं। इन मरीजों का इलाज ईटीसी सेंटर पर किया गया, जो स्वस्थ होकर घर गए हैं।
सीएमओ ने बताया कि इंसेफेलाइटिस के मरीजों को सीधे जिला अस्पताल न भेजने की सख्त हिदायत दी गई है। सभी मरीज सीधे ईटीसी सेंटर भेजे जाएं। मरीजों की हालत गंभीर होती है, तो डॉक्टर जिला अस्पताल रेफर करेंगे। जिला अस्पताल के डॉक्टर पीडियाट्रिक इंटेसिव केयर यूनिट (पीआईसीयू) में इलाज करेंगे। अगर स्थिति बिगड़ती है तो डॉक्टर मरीज को बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर करेंगे।
एईएस के मरीजों की पांच जांच जरूरी
सीएमओ ने बताया कि एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) मरीज की पांच जांचें अवश्य कराएं। साथ ही जापानीज इंसेफेलाइटिस, स्क्रबटाइफस, डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया जैसी बीमारियों से जुड़ी इन जांचों के लिए नमूने जिला स्तर पर स्थापित सेंटीनल लैब में भेजना सुनिश्चित करें। बताया कि अगर बच्चे को झटका नहीं आ रहा है और सिर्फ बेहोशी की स्थिति है, तब भी एईएस हो सकता है। सात दिन के अंदर बुखार के साथ बेहोशी या झटके आने पर एईएस मरीज का लाइन ऑफ ट्रीटमेंट देना