कोरोना की तीसरी लहर ने बिगाड़ा खेल: बाजार में रंग-गुलाल की कमी से दुकानदारों में बेचैनी
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दुकानदारों के अनुसार रंग-गुलाल का सबसे अधिक उत्पादन उत्तर प्रदेश के हाथरस में किया जाता है। उद्यमी होली से छह महीने पहले ही तैयारी के साथ इसे बनाना शुरू कर देते हैं, लेकिन इस साल जनवरी-फरवरी में आए कोरोना की तीसरी लहर के चलते उत्पादन पर असर पड़ा। उद्यमी नुकसान के डर से ज्यादा उत्पादन नहीं कर सके। ऐसे में जिले के सभी बाजारों में रंग-गुलाल की कमी है। इसलिए दुकानदारों का कहना है कि इस बार भी होली पर अच्छी आमदनी की आस कम है।
ओल्ड फरीदाबाद, एनआइटी-1,2,3,4,5, जवाहर कॉलोनी, डबुआ कॉलोनी, सराय ख्वाजा, सेक्टर-16, पल्ला व बल्लभगढ़ आदि शहर का बड़ा बाजार माना जाता है। जानकारों का कहना है कि इन बाजारों में कोरोना काल से पहले तक होली के दौरान चार-पांच करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार होता था, लेकिन कोरोना महामारी के चलते दो साल होली नहीं मनाई गई। अब कोरोना के कम हो रहे मामले को देखते हुए होली जमकर मनेगी। ऐसे में इन जगहों के बाजार सजने लगे हैं।
बाजार में नहीं चाइनीज पिचकारी व अन्य सामान
दुकानदारों के अनुसार बाजार में इस बार चाइनीज पिचकारी, रंग-गुलाल आदि नहीं है। भारतीय कंपनियों द्वारा बनाए गए पिचकारी लोगों को खूब भा रहा है। साथ ही देश में बने सामानों में अगर कोई खराबी आती है तो उसे बदलने का भी प्रावधान है। चाइनीज में ऐसा नहीं था। दुकानदारों व ग्राहकों को नुकसान उठाना पड़ता था।