Apharan 2 Review: अरुणोदय सिंह की इस बार लार्जर दैन लाइफ वापसी, क्राइम सीरीज में लगा विदेशी तड़का
अरुणोदय सिंह दमदार अभिनेता है। परदे पर हीरो बनने के लिए वह भी सब कुछ कर चुके हैं। इस बार वह अपनी कहानी खुद सुना रहे हैं। पिछला सीजन देखने वालों को उनकी हरिद्वार की राम कहानी पता है। इस बार कहानी विदेश जा रही है। वजह, एक नामी अपराधी को दबोचना है। सीरीज में अरुणोदय का नाम रुद्र है। रुद्र नाम की एक अलग सीरीज अजय देवगन भी कर रहे हैं। दोनों पुलिसवाले हैं। लेकिन वेब सीरीज ‘अपहरण 2’ का रुद्र अनुराग कश्यप की कहानियों से निकला है। थोक में गालियां देता है। खुद को भी। बीवी उसकी बीते सीजन के आखिर तक आते आते किस जाल में फंस चुकी है, दर्शक देख ही चुके हैं। इस बार दोनों की कहानी थोड़ा और हिंसक है। लेकिन, इस बार का असल मिशन है बीबीएस यानी बिक्रम बहादुर शाह को दबोचना।
कलाकारों के मामले में ये सीरीज एक बार फिर अरुणोदय सिंह की शोरील जैसी है। अरुणोदय जिस विरासत से आते हैं, उसने उनको हिंदी मनोरंजन जगत में मौके भरपूर दिए हैं, लेकिन कैमरे के सामने विरासत कम और कलाकारी ज्यादा काम आती है। अरुणोदय हर किरदार की तरह रुद्र बनने में भी मेहनत खूब करते हैं। उनकी कमजोरी बस यही है कि अभिनय उनके चेहरे पर सहज रूप से नहीं आता। निधि सिंह का अपना खाका तय है। वह उन्हीं रंगों का और तेवरों का बार बार इस्तेमाल करती हैं, जिनकी उन्हें आदत हो चुकी है। हां, स्नेहिल दीक्षित और सानंद वर्मा अपनी छाप फिर छोड़ जाते हैं। सुखमनी सदाना इस सीजन का सरप्राइज हैं। जीतेंद्र कपूर अरसे बाद कैमरे के सामने आए हैं, लेकिन उनको देखने के चक्कर में ये सीरीज देखना गलत फैसला हो सकता है
तकनीकी रूप से वेब सीरीज ‘अपहरण 2’ ज्यादा प्रभावित नहीं करती। बार बार स्लो मोशन का इस्तेमाल सीरीज को कमजोर करता है। सीरीज की पटकथा भी चुस्त नहीं है। वरुण बडोला जीवन भर सुनी सीखी गालियां इस्तेमाल करके अपने संवादों से सीरीज का टैंपो तो बनाए रखते हैं लेकिन एक हद के बाद ये भी बेहूदी लगने लगती हैं। उन्हें बॉडी शेमिंग और रंगभेद वाले संवादों से परहेज करना चाहिए। नए जमाने में इस तरह के संवाद नई पीढ़ी को भी जमते नहीं हैं। दूसरे सीजन के पहले तीन एपीसोड देखने के लिए बहुत धैर्य की जरूरत है। ये चुनौती अगर आपने पारकर ली तो फिर बाकी के एपीसोड आप फास्ट फॉरवर्ड करके भी देख लें तो खास कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला। पुराने फिल्मी गानों का ऐसा इस्तेमाल एकता कपूर ही सोच सकती हैं।