ISRO ने चंद्रयान-3 के लॉन्चिंग का रिहर्सल पूरा किया, 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा से होगा प्रक्षेपण

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-3 मिशन के लॉन्चिंग की तैयारियां पूरी कर ली है। इस यान को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन केंद्र से 14 जलाई दोपहर 2:35 बजे प्रक्षेपित किया जाएगा। इसरो का नया प्रक्षेपण यान एलवीएम-3 चंद्र मिशन को अंजाम देगा। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ के मुताबिक यह यान 23 अगस्त या 24 अगस्त को चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास करेगा।
चंद्रयान-2 मिशन लैंडिंग में रहा था विफल
इससे पहले सितंबर 2019 में चंद्रयान-2 सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में असफल रहा था। इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया कि ‘चंद्रयान-2’ के सफलता-आधारित डिज़ाइन के बजाय, अंतरिक्ष एजेंसी ने ‘चंद्रयान-3’ में विफलता-आधारित डिज़ाइन को चुना है और इस बात पर ध्यान दिया गया है कि कुछ चीजों के गलत होने पर भी इसे कैसे बचाया जाए तथा कैसे सफल ‘लैंडिंग’ सुनिश्चित की जाए।
सोमनाथ ने कहा, ‘हमने बहुत सी विफलताओं को देखा- सेंसर की विफलता, इंजन की विफलता, एल्गोरिदम की विफलता, गणना की विफलता। इसलिए, जो भी विफलता हो, हम चाहते हैं कि यह आवश्यक वेग और निर्दिष्ट मान पर उतरे। इसलिए, अंदर अलग-अलग विफलता परिदृश्यों की गणना और योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया गया है।”
चंद्रयान-2 मिशन की विफलता की वजह
उन्होंने चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम’ के ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में असफल रहने का ब्योरा साझा करते हुए कहा कि जब इसने चंद्रमा की सतह पर 500 मीटर x 500 मीटर के निर्दिष्ट लैंडिंग स्थल की ओर उतरना शुरू किया तो इसकी गति को धीमा करने के लिए डिजाइन किए गए इंजनों में उम्मीद से अधिक बल विकसित हो गया। उन्होंने कहा, संक्षेप में कहें तो चंद्रयान-2 में समस्या यह थी कि पथ-विचलन को संभालने की इसकी क्षमता बहुत सीमित थी।
इसरो अध्यक्ष ने कहा, ” इस बार हमने जो किया वह बस इसे और विस्तारित करना था, इस बात पर ध्यान देकर कि ऐसी कौन-कौन सी चीज हैं, जो गलत हो सकती हैं। इसलिए, चंद्रयान-2 के सफलता-आधारित डिजाइन के बजाय, हमने चंद्रयान-3 में विफलता-आधारित डिजाइन को चुना है। क्या-क्या विफल हो सकता है, और इसे कैसे बचाया जाए, हमने यही दृष्टिकोण अपनाया है।’