सुविधा: अब जम्मू-कश्मीर में कर सकेंगे नेत्रदान, कॉर्नियल प्रत्यारोपण को भी मिली मंजूरी
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स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस), स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के नेत्र विज्ञान विभाग ने जीएमसी जम्मू को नेत्र बैंक, कॉर्नियल प्रत्यारोपण और पुनर्प्राप्ति (रिट्रीवल) सुविधा के लिए मानव अंग अधिनियम और ऊतक अधिनियम 1994 (थोटा) के तहत पांच साल के पंजीकरण को मंजूरी दी है।
इससे पहले जीएमसी जम्मू को स्वास्थ्य निदेशालय जम्मू के लाइसेंसिंग प्राधिकरण से अस्थायी पंजीकरण मिला था। विभाग पहले 21 कार्नियल प्रत्यारोपण कर चुका है, लेकिन जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद विभाग को राज्य अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (सोटो) जम्मू-कश्मीर के माध्यम से डीजीएचएस नई दिल्ली में नए पंजीकरण के लिए आवेदन करना पड़ा। जीएमसी में अब नेत्रदान के साथ कॉर्नियल प्रत्यारोपण की सुविधा से मरीजों को राहत मिलेगी।
हाल ही में डीजीएचएस से तीन सदस्यीय विशेषज्ञों की टीम ने जीएमसी के नेत्र बैंक, कॉर्नियल प्रत्यारोपण और अन्य सुविधाओं का निरीक्षण किया था। वर्तमान में विभाग में 2 से 4 कॉर्निया बाहर से मंगवाकर उसके प्रत्यारोपण की सुविधा दी जा रही थी, लेकिन नेत्र बैंक न होने के कारण प्रत्यारोपण सुविधा के विस्तार नहीं हो पा रहा था। इसमें बाहर से कार्नियल लाकर उसे स्टोर करने की सबसे बड़ी दिक्कत थी। विभाग में नेत्र बैंक के लिए सभी जरूरी सुविधाएं विकसित की गई हैं। अब प्रत्यारोपण की सुविधा को गति मिलने से मरीजों को इसके लिए दूसरे राज्यों का रुख नहीं करना पड़ेगा। जीएमसी जम्मू की प्रिंसिपल डॉ. शशि सूदन ने नेत्र विज्ञान विभाग के एचओडी डॉ. सतीश गुप्ता, डॉ. शाजिया, डॉ. संजीव पुरी आदि टीम के प्रयासों की सराहना की।