आज रात आसमान में हो सकती है शानदार उल्का बौछार, देख सकते हैं ऑनलाइन भी
ताऊ हरक्यूलिड्स (tau Herculids) उल्का बौछार के बारे में कहा जाता है कि सोमवार की पूरी रात प्रति घंटे 1,000 ‘उल्का तूफान’ दिखाई दे सकते हैं।

आसमान में होने वाली घटनाओं में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए आज और कल की रात बेहद अहम होने वाली है। 30-31 मई की रात में दुनिया एक उल्का बौछार (meteor shower) को एक्सपीरियंस कर सकती है। ताऊ हरक्यूलिड्स नाम की यह उल्का बौछार इसी नाम के एक तारे से आती है, जिसका मुख्य धूमकेतु (comet) SW3 है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) पिछले हफ्ते इस उल्का बौछार का अनुमान लगाया था। अगर आपके क्षेत्र में मौसम संबंधी रुकावटें हैं या फिर आप रात को घर से बाहर नहीं निकलना चाहते, तब भी आप इस संभावित उल्का बौछार को अनुभव कर सकते हैं।
ताऊ हरक्यूलिड्स (tau Herculids) उल्का बौछार के बारे में कहा जाता है कि सोमवार की पूरी रात प्रति घंटे 1,000 ‘उल्का तूफान’ दिखाई दे सकते हैं। इसकी वजह है कि पृथ्वी एक धूमकेतु SW3 के मलबे से गुजरने वाली है। हालांकि वैज्ञानिक इसके बारे में अभी तक पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं। अगर धूमकेतु का मलबा उससे अलग हो जाता है, तभी दुनिया एक बेहतरीन उल्का बौछार का अनुभव कर पाएगी। बताया जाता है कि यह पिछले 20 साल की सबसे बेहतरीन उल्का बौछार हो सकती है या फिर कुछ भी ना दिखाई दे।
इटली के सेकानो में बेस्ड वर्चुअल टेलीस्कोप प्रोजेक्ट (Virtual Telescope Project) के तहत इन उल्का बौछारों का लाइव स्ट्रीम देखा जा सकता है। स्थानीय समय के मुताबिक फ्री वेबकास्ट आज रात 12 बजे से शुरू होगा। भारत में यह कल सुबह 9.30 बजे से शुरू होगा। ऐसे में हमारे लिए ऑनलाइन लाइव नजारा ही बेहतर रहेगा। यह टेलीकास्ट अमेरिका के एरिजोना और ब्राजील के आकाश में होने वाली घटनाओं को कैमरों के जरिए लाइव दिखाएगा। इस वेबकास्ट को वर्चुअल टेलीस्कोप प्रोजेक्ट की वेबसाइट https://www.virtualtelescope.eu/webtv/ पर भी देखा जा सकता है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने पिछले हफ्ते बताया था कि अगर ये उल्काएं पृथ्वी पर पहुंचती हैं, तो वो लगभग 16 किलोमीटर प्रति घंटे की धीमी रफ्तार से वायुमंडल में प्रवेश करेंगी। नासा के मुताबिक, दक्षिणी गोलार्ध की तुलना में उत्तरी गोलार्ध में इन उल्का बौछारों को देखना आसान होगा।
SW3 धूमकेतु की खोज 1930 में हैम्बर्ग ऑब्जर्वेट्री के दो जर्मन खगोलविदों- अर्नोल्ड श्वासमैन और अर्नो आर्थर वाचमैन ने की थी। हालांकि फिर साल 1970 तक इसे नहीं देखा जा सका था। 1970 के बाद इसे दूरबीन की मदद से देखा जाने लगा। 1995 के बाद यह चमकीला हो गया खास मौके पर और हैवी दूरबीन के बिना भी दिखाई देने लगा।
रिपोर्टों के अनुसार, अगर उल्का विस्फोट होता है, तो इस नजारे को अमेरिका, दक्षिण-मध्य और पूर्वी कनाडा, मैक्सिको से लेकर पश्चिमी अफ्रीका के कुछ हिस्सों में देखा जा सकेगा। हालांकि वैज्ञानिक अभी आश्वस्त नहीं हैं कि यह उल्का बौछार कितनी प्रभावशाली होगी। हो सकता है कि हमें कुछ भी ना दिखाई दे। वैसे निराश होने की जरूरत नहीं है, दिसंबर में भी हमें आसमान में ऐसा नजारा देखने को मिल सकता है।